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कहे कबीर
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कहे कबीर
कहे कबीर जमाना खोटा, हगे गुदा और माँजे लौटा।’ नई पीढ़ी नहीं जानती, लेकिन पुरानी पीढ़ी जानती है कि पहले दिशा-पाखाना (लैट्रिन) जाने पर धोने के लिए पानी भरा लोटा साथ ले कर जाते थे। धोने के बाद हाथ कोहनी तक पीली मिट्टी से धोते थे और लोटे को न मालूम कितना रगड़-रगड़ कर माँजते, चमकाते थे। हमारी दशा और दिशा आज भी लौटा माँजने की है।
हे भारत माता मुझे राम की मर्यादा, कृष्ण का हृदय और शिव सा मस्तिष्क दे।